Not known Facts About Shodashi
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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या
सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां
॥ इति त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः सम्पूर्णं ॥
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।
या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
The essence of such situations lies while in the unity and shared devotion they encourage, transcending person worship to create a collective spiritual environment.
॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल click here ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram